"राजविद्याराजगुह्ययोगः" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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==अध्यायस्य सारः== |
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==श्लोकानाम् आवलिः== |
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! style="background: #ccf; text-align: center;" |भगवद्गीतायाः अध्यायाः<br/> |
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#[[१.अर्जुनविषादयोगः|अर्जुनविषादयोगः]] |
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#[[२.साङ्ख्ययोगः|सांख्ययोगः]] |
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#[[३.कर्मयोगः|कर्मयोगः]] |
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#[[४.ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः|ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः]] |
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#[[५.कर्मसंन्यासयोगः|कर्मसंन्यासयोगः]] |
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#[[६.आत्मसंयमयोगः|आत्मसंयमयोगः]] |
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#[[७.ज्ञानविज्ञानयोगः|ञानविज्ञानयोगः]] |
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#[[८.अक्षरब्रह्मयोगः|अक्षरब्रह्मयोगः]] |
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#[[९.राजविद्याराजगुह्ययोगः|राजविद्याराजगुह्ययोगः]] |
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#[[१०.विभूतियोगः|विभूतियोगः]] |
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#[[११.विश्वरूपदर्शनयोगः|विश्वरूपदर्शनयोगः]] |
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#[[१२.भक्तियोगः|भक्तियोगः]] |
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#[[१३.क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगः|क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगः]] |
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#[[१४.गुणत्रयविभागयोगः|गुणत्रयविभागयोगः]] |
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#[[१५.पुरुषोत्तमयोगः|पुरुषोत्तमयोगः]] |
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#[[१६.दैवासुरसम्पद्विभागयोगः|दैवासुरसंपद्विभागयोगः]] |
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#[[१७.श्रद्धात्रयविभागयोगः|श्रद्धात्रयविभागयोगः]] |
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#[[१८.मोक्षसंन्यासयोगः|मोक्षसंन्यासयोगः]] |
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:[[९.१ इदं तु ते गुह्यतं....]] |
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:[[९.२ राजविद्या राजं ....]] |
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१८:२७, १८ अक्टोबर् २०११ इत्यस्य संस्करणं
अध्यायस्य सारः
श्लोकानाम् आवलिः
भगवद्गीतायाः अध्यायाः |
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- ९.१ इदं तु ते गुह्यतं....
- ९.२ राजविद्या राजं ....
- ९.३ अश्रद्धधानाः....
- ९.४ मया ततमिदं....
- ९.५ न च मत्स्थानि....
- ९.६ यथाकाशस्थितः....
- ९.७ सर्वभूतानि कौं....
- ९.८ प्रकृतिं स्वामवं....
- ९.९ न च मां तानि....
- ९.१० मयाध्यक्षेण प्रकृं....
- ९.११ अवजानन्ति मां....
- ९.१२ मोघाशा मोघं ....
- ९.१३ महात्मानस्तु मां....
- ९.१४ सततं कीर्तयन्तो....
- ९.१५ ज्ञानयज्ञेन चापि....
- ९.१६ अहं क्रतुरहं....
- ९.१७ पितामह्स्य जग....
- ९.१८ गतिर्भर्ता प्रभुः....
- ९.१९ तपाम्यहमहं....
- ९.२० त्रैविद्या मां ....
- ९.२१ ते तं भुक्त्वा ....
- ९.२२ अनन्याश्चिन्तयन्तो....
- ९.२३ येऽप्यन्यदेवताः....
- ९.२४ अहं हि सर्वं....
- ९.२५ यान्ति देवव्रताः....
- ९.२६ पत्रं पुष्पं फलं....
- ९.२७ यत्करोषि यदं....
- ९.२८ शुभाशुभफलैः....
- ९.२९ समोहं सर्वभूतेषु....
- ९.३० अपि चेत्सु....
- ९.३१ क्षिप्रं भवति धर्मा....
- ९.३२ मां हि पार्थ....
- ९.३३ किं पुनर्ब्राह्मणाः....
- ९.३४ मन्मना भव....