"स्" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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#[[चन्द्रः]](समासे एषः वर्णः पूर्वपदे सति) |
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#छन्दःशास्त्रे अन्त्यगुरुयुक्तः वर्णः , स गणः |
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[[वर्गः:वर्णमाला]] |
[[वर्गः:वर्णमाला]] |
०६:३७, १ सेप्टेम्बर् २०१२ इत्यस्य संस्करणं
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अस्य उच्चारणस्थानं दन्ताः सन्ति । एषः अवर्गीयव्यञ्जनस्य सप्तमः वर्णः । वर्णमालायां द्वात्रिंशः व्यञ्जन[हल्]]वर्णः। " शषसहा ऊष्माणः" लृतुलसानां दन्ताः " -सि० कौ
नानार्थाः
सबन्धुसैन्यः सविशेषदृश्यां प्रत्याययौ विश्वपतिः पुरीं स्वाम् " याद० २०-९६
- विष्णुः
- हरः
- पक्षी
- वायुः
- सर्पः
- चन्द्रः(समासे एषः वर्णः पूर्वपदे सति)
- सह
- छन्दःशास्त्रे अन्त्यगुरुयुक्तः वर्णः , स गणः
सः पुंस्युमासुते वायौ देहकान्तौ तु सा स्त्रियाम् । सं क्लीबे स्यन्दनपथे ध्याने ज्ञाने निवारणे" नानार्थरत्नमाला
"सः कोपे वरणे सः स्यात्तथा शूलिनि कीर्तितः । सा च लक्ष्मीर्बुधैः प्रोक्ता गौरी सा च स ईश्वरः " एकाक्षरकोशः