"निम्बूकरसः" इत्यस्य संस्करणे भेदः

विकिपीडिया, कश्चन स्वतन्त्रः विश्वकोशः
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चित्रम्:Citrus x Limon JPG1.jpg|वृक्षे दृश्यमानानि निम्बूकानि
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<!----यदि किसी सबसे लोकप्रिय फल की बात की जाय तो आपके जेहन में नींबू न आये ऐसा हो ही नहीं सकता है I सभी खट्टे फलों में यह एक विशिष्ट फल है जिसका प्रयोग चेहरे की त्वचा को पोषण देने से लेकर वजन कम करने तक में किया जाता है I
यह एक ऐसा फल है जो रेगिस्तान में भी आपको मिल जाएगा और भरी दुपहरी में इसके साथ का एहसास आपको बिलकुल तरोताजा बना देता है I
आइये आज हम आपको इसके कुछ बहुउपयोगी गुणों की चर्चा करते हैं :-
आप जानते ही होंगे खट्टे फल विटामिन -सी,मिनरल कैल्शियम,मैग्नीशियम एवं फास्फोरस सहित प्रोटीन एवं कार्बोहायड्रेट के प्रचुर स्रोत होते हैं ! यदि आप को उल्टी आने की इच्छा,सीने में जलन और कब्ज जैसी समस्या उत्पन्न हो रही हो तोएक ग्लास गुनगुना नींबू पानी आपको राहत दे सकता है I
नींबू एक प्रकार से टोनिक का कार्य करता है जो लीवर को अधिक बाईल के स्रवण को उद्दीपित करता है ,इतना ही नहीं यह रक्तशोधक की तरह भी कार्य करता है जो जीवाणुओं को बाहर का रास्ता दिखाता है Iनींबू आतों की पेरीस्टालसिस गति को बढ़ा देता है जिससे कब्ज दूर होता है I
हाँ, यदि आपको अचानक हिचकी आ रही हो तो बस एक ग्लास नींबू पानी पी लें और आराम का अनुभव करेंI
नींबूपानी एक प्रकार से मूत्रल द्रव्य का काम करता है जो जीवाणुओं को फ़्लश कर देता है जिससे मूत्रवहसंस्थान के संक्रमण को कम किया जा सकता है Iयदि आप गले की खराश एवं टॉन्सिल्स से परेशान हों तो बस गुनगुने पानी में एक चम्मच कागजी नींबू डालें और गरारे करें .
इसी प्रकार सर्दी एवं जुखाम की स्थिति में गुनगुने पानी में एक चम्मच कागजी नींबू और एक चम्मच शहद डालकर पी जाएँ ..इसी प्रकार दमे के रोगीयों में भी गुनगुने पानी में मिलाया गया आधा चम्मच कागजी नींबू का रस बड़ा ही आराम देता है I
नींबू में लगभग 22 कैंसररोधी तत्व पाए जाते हैं, इनमें पाया जानेवाला “लाइमोनीन” ट्यूमर्स के बढ़ने को रोक देता है ..कैंसर के रोगियों में रेडीयेशन एवं कीमोथीरेपी के दुष्प्रभाव एवं तनाव को भी कम करने में यह मददगार होता है I
नींबू हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ानेवाले एवं एंटी- डीप्रेसेंट के रूप में काम करता हैI
नींबू के रस का मसूड़ों पर किया गया हल्का मसाज मसूड़ों से आनेवाले खून के स्राव को कम कर देता हैऔर मसूड़ों की दुर्गन्ध को भी कम करता है I
चेहरे पर आये झाईंयों को महज नींबू के रस से कम करने का उपचार वर्षों से होता आया है ,बस इसे थोड़ा ग्लीसरीन के साथ मिला दिया जाय तो यह चेहरे के दाग धब्बों को भी दूर कर सकता हैI
यदि एक कप पानी में एक नींबू निचोड़कर फलों एवं सब्जियों को साफ़ किया जाय तो यह इनमें उपस्थित पेस्टीसायड के अवशेषों को हटा देता है I
हाँ बस इतना ध्यान रहे की नींबू में प्रचुर मात्रा में साइट्रिक एसिड पाया जाता है जो आपके पेट में इरीटेंट प्रभाव भी उत्पन्न कर सकता है ,खासकर तब .. जब आप अल्सर के रोगी हों I
अधिक मात्रा में साइट्रिक एसिड पानी में डायल्युट करने के बावजूद दाँतों के एनामेल को नुकसान पहुंचा सकता है ..लेकिन फिर भी इस फल के सर्वसुलभ एवं गर्मीयों में होनेवाले बहुउपयोग को नकारा नहीं जा सकता है !---->


[[वर्गः:पेयानि]]
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०५:३५, १ नवेम्बर् २०१३ इत्यस्य संस्करणं

निम्बूकम्

जैविकवर्गीकरणम्
जगत् (जीवविज्ञानम्) Plantae
(अश्रेणिकृतः) Angiosperms
(अश्रेणिकृतः) Eudicots
(अश्रेणिकृतः) Rosids
गणः Sapindales
कुलम् Rutaceae
वंशः Citrus
जातिः C. × limon
द्विपदनाम
Citrus × limon, often given as C. limon
(L.) Burm.f.


निम्बूकस्य रसः एव निम्बूकफलरसः । एतत् निम्बूकम् आङ्ग्लभाषायां Lemon इति उच्यते । तस्य फलरसः च Lemon Juice इति उच्यते । निम्बूकफलरसः आरोग्यार्थम् अपि बहु उत्तमम् । अस्य फलरसस्य निर्माणं कृत्वा कूपीषु, करण्डकेषु वा पूरयित्वा संरक्ष्यते । तादृशः फलरसः बहुकालं यावत् न नश्यति । यदा आवश्यकं तदा गृहे एव निर्माय पातुम् अपि शक्यते । आपणेषु उपहारमन्दिरेषु चापि अस्य निम्बूकफलरसस्य विक्रयणं क्रियते । कुत्रचित् मार्गपार्श्वे अपि निम्बूकफलरसं निर्माय विक्रयणं कुर्वन्ति अपि । भारते तु अयं निम्बूकफलरसः अत्यन्तं प्रसिद्धं पेयम् अस्ति । घर्मकाले तु अस्य निम्बूकफलरसस्य उपयोगः अत्यन्तम् अधिकप्रमाणेन क्रियते ।

फलरसस्य निर्माणम्

अस्य निम्बूकफलरसस्य निर्माणम् अपि अत्यन्तं सुलभम् । प्रथमम् निम्बूकफलं प्रक्षाल्य यथा खण्डद्वयं स्यात् तथा कर्तनीयम् । अनन्तरं तस्य रसः निष्पीडनीयः । तस्मिन् रसे पर्याप्तमात्रेण जलं शर्करां च संस्थाप्य सम्यक् योजनीयम् । अपेक्षितं चेत् तत्र एलायाः मरीचस्य च चूर्णम् अपि योजयितुं शक्यते । कुत्रचित् शर्करायाः स्थाने लवणं योजयित्वा अपि पिबन्ति । कुत्रचित् निम्बूकस्य रसं निष्पीड्य तथैव संरक्षितम् अपि प्राप्यते । तदवसरे साक्षात् तं रसं जले संस्थाप्य शर्करा योजनीया तावदेव ।

चित्रवीथिका

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