"कर्मसंन्यासयोगः" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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१) [[संन्यासं कर्मणां कृष्ण...]] |
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२९) [[भोक्तारं यज्ञतपसां...]] |
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==बाह्यसम्पर्कतन्तुः== |
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*[http://sa.wikisource.org/wiki/भगवद्गीता भगवद्गीता] (मूलश्लोकाः) |
*[http://sa.wikisource.org/wiki/भगवद्गीता भगवद्गीता] (मूलश्लोकाः) |
११:०६, ३० अक्टोबर् २०१५ इत्यस्य संस्करणं
अध्यायस्य सारः
भववद्गीतायाः पञ्चमः अध्यायः वर्तते ।
श्लोकानाम् आवलिः
५) यत्साङ्ख्यैः प्राप्यते स्थानं...
भगवद्गीतायाः अध्यायाः |
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१२) युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा...
२०) न प्रहृष्येत्प्रियं प्राप्य...
२१) बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा...
२७) स्पर्शान्कृत्वा बहिर्बाह्यान्...