"कर्मसंन्यासयोगः" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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==अध्यायस्य सारः== |
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! style="background: #ccf; text-align: center;" |भगवद्गीतायाः अध्यायाः<br/> |
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#[[१.अर्जुनविषादयोगः|अर्जुनविषादयोगः]] |
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#[[२.साङ्ख्ययोगः|सांख्ययोगः]] |
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#[[३.कर्मयोगः|कर्मयोगः]] |
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#[[४.ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः|ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः]] |
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#[[५.कर्मसंन्यासयोगः|कर्मसंन्यासयोगः]] |
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#[[६.आत्मसंयमयोगः|आत्मसंयमयोगः]] |
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#[[७.ज्ञानविज्ञानयोगः|ञानविज्ञानयोगः]] |
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#[[८.अक्षरब्रह्मयोगः|अक्षरब्रह्मयोगः]] |
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#[[९.राजविद्याराजगुह्ययोगः|राजविद्याराजगुह्ययोगः]] |
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#[[१०.विभूतियोगः|विभूतियोगः]] |
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#[[११.विश्वरूपदर्शनयोगः|विश्वरूपदर्शनयोगः]] |
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#[[१२.भक्तियोगः|भक्तियोगः]] |
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#[[१३.क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगः|क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगः]] |
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#[[१४.गुणत्रयविभागयोगः|गुणत्रयविभागयोगः]] |
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#[[१५.पुरुषोत्तमयोगः|पुरुषोत्तमयोगः]] |
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#[[१६.दैवासुरसम्पद्विभागयोगः|दैवासुरसंपद्विभागयोगः]] |
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#[[१७.श्रद्धात्रयविभागयोगः|श्रद्धात्रयविभागयोगः]] |
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#[[१८.मोक्षसंन्यासयोगः|मोक्षसंन्यासयोगः]] |
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==श्लोकानाम् आवलिः== |
==श्लोकानाम् आवलिः== |
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:[[५.१ सन्यासं कर्मणां...]] |
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:[[५.२८ यतेन्द्रियमनोबुद्धिः...]] |
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:[[५.२९ भोक्तारं यज्ञतपसां...]] |
:[[५.२९ भोक्तारं यज्ञतपसां...]] |
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==बाह्यसम्पर्कतन्तुः== |
==बाह्यसम्पर्कतन्तुः== |
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०७:३६, २४ सेप्टेम्बर् २०११ इत्यस्य संस्करणं
अध्यायस्य सारः
भगवद्गीतायाः अध्यायाः |
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श्लोकानाम् आवलिः
- ५.१ सन्यासं कर्मणां...
- ५.२ सन्यासः कर्मयोगः...
- ५.३ ज्ञेयः स नित्यसं...
- ५.४ साङ्ख्ययोगौ पृथक्...
- ५.५ यत्साङ्ख्यैः प्राप्यते...
- ५.६ सन्यासस्तुमहाबां...
- ५.७ योगयुक्तो विशुद्धां...
- ५.८ नैव किञ्चित् ...
- ५.९ प्रलपन्विसृजन्...
- ५.१० ब्रह्मण्याधाय...
- ५.११ कायेन मनसा...
- ५.१२ युक्तः कर्मफलं...
- ५.१३ सर्वकर्माणि मनसा...
- ५.१४ न कर्तुत्वं न...
- ५.१५ नादत्ते कस्यचि...त्
- ५.१६ ज्ञानेन तु तदज्ञानं ...
- ५.१७ तद्बुद्धयः तदात्मानः...
- ५.१८ विद्याविनयसम्पन्ने...
- ५.१९ इहैव तैर्जितः...
- ५.२० न प्रहृष्येत्प्रियं ...
- ५.२१ बाह्यस्पर्षष्वसक्तां...
- ५.२२ ये हि संस्पर्शजाः...
- ५.२३ शक्नोतीहैव यः...
- ५.२४ योऽन्तः सुखोऽतः...
- ५.२५ लभन्ते ब्रह्मनिर्वां...
- ५.२६ कामक्रोधवियुक्तां...
- ५.२७ स्पर्शान् कृत्वा...
- ५.२८ यतेन्द्रियमनोबुद्धिः...
- ५.२९ भोक्तारं यज्ञतपसां...