"सदस्यः:Vibhijain/main" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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|title=ज्ञायते किं भवता ? |
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१३:२५, २१ नवेम्बर् २०११ इत्यस्य संस्करणं
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भगवद्गीता भगवतः गीता भगवद्गीता। एतस्य गीतोपदेशः इत्यपि नामान्तरं वर्तते। श्रीकृष्ण: अत्र उपदेशकः श्रोता अर्जुनः। हैन्दवानां धर्मग्रन्थत्वेन विद्यते एषा भगवद्गीता। गीतायाम् अष्टादश अध्यायाः सन्ति। अस्य मोक्षशास्त्रम् इत्यपि नाम वर्तते। प्रत्येकस्यापि अध्यायस्य पृथक् नाम वर्तते। कृष्णार्जुनयोः संवादानुसारम् अध्यायाः विभक्ताः। श्रीमदभगवद्गीताख्यं शास्त्रं वैदिकवाङ्मये सम्पूर्णवेदस्थानीयमिति शास्त्रविदां मतम्। वेदवत् त्रिकाण्डात्मकत्वात्, समस्तवेदार्थसारसंग्रहभूतत्वात्, सर्वशास्त्रमयत्वात्, सर्वसाधारणलोकोपकारकत्वाच्च। प्रसिद्धिश्चैतादृश्येव –
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