जयशङ्कर प्रसाद
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Jaishankar Prasad | |
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जननम् |
Varanasi, India | ३० १८८९
मरणम् |
१४ १९३७ Varanasi, India | (आयुः ४७)
वृत्तिः | Novelist, playwright, poet |
जयशंकर प्रसादः (Jayshankar Prasad) (1889-1937) हिन्दी भाषाया: महान् लेखक: ।
उदाहरणकविता
[सम्पादयतु]बीती विभावरी जाग री!
बीती विभावरी जाग री!
अम्बर पनघट में डुबो रही
तारा घट ऊषा नागरी।
खग कुल-कुल-कुल सा बोल रहा,
किस लय का अंचल डोल रहा,
लो यह लतिका भी भर लाई
मधु मुकुल नवल रस गागरी।
अधरों में राग अमंद पिये,
अलकों में मलयज बंद किये
तू अब तक सोई है आली
आँखों में भरे विहाग री।
- जयशंकर प्रसाद
पश्य
[सम्पादयतु]बाह्यसम्पर्कतन्तुः
[सम्पादयतु]- जयशंकर प्रसाद की श्रेष्ठ रचनायें[नष्टसम्पर्कः]
- जयशंकर प्रसाद (कविता कोश) Archived २००६-११-१८ at the Wayback Machine
- जयशंकर प्रसाद (अनुभूति)
- जयशंकर प्रसाद (अभिव्यक्ति में)
- Kamayani of Jai Shankar Prasad – As I saw It and Understood It by Dr.Girish Bihari
1st Edition 2006, Published by Film Institute, Lucknow (U.P.) – INDIA http://cities.expressindia.com/fullstory.php?newsid=205657