सदस्यसम्भाषणम्:Vankadara Bhavya sree 1840585/प्रयोगपृष्ठम्
धुर्जटि
[सम्पादयतु]
धुर्जटि एकस्य द्रविद (तेलुगु)महा कवि:।धुरजटि १५०० शताब्दे जनमित:।धुरजटि जन्मस्थलम् स्रिकलहस्त। स: माता पिता सिंगम्मा च नरयन:। स शैव भक्त:। स: प्रसिदि कर्य स्रि कलहस्तिएष्वर महत्यम् च स्रि कलहस्तिष्वर शतकम्। धुर्जटि पेदद् धुर्जटि इति नामना प्रसिधि:। धुर्जटि स्रि क्रिष्नदेवरय आस्तना कवि:। धुर्जटि यस्य स्रि क्रिष्नदेवरय प्रशंसित:। स्तुमति अगन अन्ध्र प्रदेष् कवि धुर्जटि पलकुमलकेल् गलानो एटुलिट माधुरि महिमा।
धुर्जटि शोडष शताब्दि कवि। तेलुगु रस्त्रय स्रि कलहस्ति थस्य स्वग्राममिति।इधम् प्रह्तह पोत्तपिनदु इति नामेन धुर्जटि पुकरयथि। सिङमा रामनरयन तथा जक्कय नारायन तस्य मतपित अस्थि। इदम् कवि एक परम शैवा स्रि क्रिष्न देवस्य प्रमुख आस्थन कवि। इदम् कवि स्रि कलहस्ति महत्यमु तथ भक्थि प्रभन्दम् नमा प्रमुख पुस्तकस्य रचयिथ। धुजटि इति कथा समाकलित विगुन लिपि इन्दुमनि परिणय चरन्तु एतत् उत्प्लवते अपि वक्र अन्त: कतिचन विवाद इचात। एवं इचति वुन्ं प्रयास् संमत अपि भुत इति।
अन्तस्त्य केता संविध
अन्तस्त्य केतासा विधा मुक्य बग स्वाअत्त अधीर संविध,तथह परम् पर्येति प्रतितन्त्री पद्धति सम्हति। अन्तस्त्य केता संविध विवक् ततह परम् द्रव प्रवर्तयति तेजते। अन्तस्य केता संविध प्रवर्तयति प्रवर्तयति पुर्वपरि भवति।अन्तस्य केता संविधसमरथयति यद्यपि तद् बहु असत्य केन्द्रियकेता संविफ़्ध आनुसग्ग्गिक केता संविध धधति भुज् अन्तस्त्य प्रगन्क्कड।आन्तर प्रगण्ड कज़्एरुकाअन्तस्त्य केता संविफ़ध प्रति रासायनिक। प्रत्रिक्रिया मोक्श। धृत तेजते कुतुप विनयते।यतः महिका उपक्रम विकति थोरकिक् अन्द् लुम्बर् अध्याकार पृश्ठास्थि केन्द्रिय केता संविहध स्रुति। एताः कोज़्अ सम्पर्क और् प्रयुक्त कतमनम् तदनन्त्रनम् भजते ईलिक प्रधान वाद्यराज ततः परम् प्रतिबुद्धक प्रतितन्त्र्ळईपद्धति। सिरा अवकाज़्अ पृश्ठास्थि कौक्सपल्लवः कीकस सिरा निरूढ बहिस् ज़्उभ्र प्रत्शनवत् कतमः संनयति द्वि प्रगण्ड आप्त अनु पृश्ठजाह पाद ज़्इश्ट अन्द् दहक्सिण।