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विकिपीडिया, कश्चन स्वतन्त्रः विश्वकोशः

बहुत सारे लोगों के मन में सवाल हो सकता है कि भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र से 21 जून को ही योग दिवस क्यों घोषित करवाया? 21 जून का रहस्य जानने से पहले आपको एक ऐसे महान व्यक्ति और उनके द्वारा स्थापित संस्थान के बारे में जानना होगा जो कहीं न कहीं आधुनिक योग विस्फोट में नींव का पत्थर है. वे महान व्यक्ति हैं स्वामी कुवलयानंद. और उनके द्वारा स्थापित योग संस्थान का नाम है कैवल्यधाम. लोनावाला.

1883 में गुजरात में जन्में स्वामी कुवलयानंद (जगन्नाथ गणेश गुने) बंबई और बड़ौदा से पढ़ाई के बाद आजादी आंदोलन का हिस्सा हो गये थे. वे श्री अरविन्द से प्रभावित थे और बाद में तिलक के होमरूल मूवमेन्ट में शामिल हो गये थे. इसी दौरान भारतीय संस्कृति का पठन पाठन करते हुए 1907 में उनका परिचय बड़ौदा के जुम्ममदादा व्यायामशाला से हुआ. यहां मानिकराव दादा ने उन्हें तीन साल शरीर के भारतीय शास्त्र से उनका शुरूआती परिचय करवाया. लेकिन उनके जीवन में योग के विधिवत प्रवेश की शुरूआत हुई 1919 में जब बड़ौदा में पहली बार उनकी मुलाकात बंगाली योगी परमहंस माधवदास से हुई. और यहां से कुवलयानंद के जीवन की दिशा बदल गयी.

स्वामी कुवलयानंद योग को आधुनिक वैज्ञानिक कसौटी पर कसकर इसका प्रसार करना चाहते थे ताकि योग के चिकत्सकीय पहलू को लोगों के सामने लाया जा सके. इसके लिए उन्होंने 1924 में दुनिया का पहला योग रिचर्स इंस्टीट्यूट स्थापित किया जिसका नाम था कैवल्यधाम. मुंबई पुणे के बीच में लोनावाला में स्थापित कैवल्यधाम ने एक रिसर्च मैगजीन "योग मीमांसा" का प्रकाशन भी शुरू किया जो पूरी तरह से योग के चिकत्सकीय पहलू को समर्पित है. स्वामी कुवलयानंद का 1966 में निधन हो गया लेकिन उन्होंने जिस योग क्रांति के बीज बोये थे वे समय के साथ पल्लवित होते रहे. और आज पूरब में चीन से लेकर पश्चिम में कनाडा तक कैवल्यधाम योग पर एक प्रामाणिक संस्था के रूप में कार्यरत है. यह स्वामी कुवलयानंद ही थे जिन्होंने पहली बार योग को चिकित्सा के रूप में सामने रखा.

21 जून को योग दिवस का रहस्य भी कहीं न कहीं इसी कैवल्यधाम से जुड़ा हुआ है. कैवल्यधाम गुजरात में स्वामी नारायण संप्रदाय के साथ जुड़कर योग का प्रशिक्षण देता है जहां से तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जुड़े हुए थे. यहीं पर नरेन्द्र मोदी का परिचय कैवल्यधाम से हुआ. प्रधानमंत्री बन जाने के बाद जिस वक्त पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र जाने की तैयारी कर रहे थे उससे कुछ वक्त पहले स्वामी नारायण संप्रदाय का एक शिष्टमंडल पीएम मोदी से मिला था. संभवत: इसी मुलाकात में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का सुझाव दिया गया जिसे पीएम ने संयुक्त राष्ट्र में उठाया.

क्योंकि बीते साल 2014 को कैवल्यधाम 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मना चुका था इसलिए तारीख को लेकर भी कोई दिक्कत नहीं हुई और संयुक्त राष्ट्र से सुझाव मांगने पर पीएम ने 21 जून की तारीख सुझा दी. इस तरह 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस बन गया जो कहीं न कहीं स्वामी कुवलयानंद को सच्ची श्रद्धांजलि है.