वर्गसम्भाषणम्:भूमि
प्रकृति जब नाराज होती है, तो उसके कोप से जूझने की हमारी तैयारी अकसर कम पड़ जाती है। बाढ़, सूखा और अकाल इसी की परिणति हैं। दूसरी तरफ, प्रकृति जब कुछ देना चाहती है, तो हमारे पात्र छोटे पड़ जाते हैं और हम उस उपहार को समेट नहीं पाते।
प्रकृति जब नाराज होती है, तो उसके कोप से जूझने की हमारी तैयारी अकसर कम पड़ जाती है। बाढ़, सूखा और अकाल इसी की परिणति हैं। दूसरी तरफ, प्रकृति जब कुछ देना चाहती है, तो हमारे पात्र छोटे पड़ जाते हैं और हम उस उपहार को समेट नहीं पाते।