सत्यमेव जयते
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सत्यमेव जयते नानृतम् सत्येन पन्था विततो देवयानः ।
येनाऽक्रमन्त्यृषयो ह्याप्तकामा यत्र तत् सत्यस्य परं निधानं ॥