सदस्यः:जैन/प्रयोगपृष्ठम्

    विकिपीडिया, कश्चन स्वतन्त्रः विश्वकोशः
    तत्त्वार्थ सूत्र का अंग्रेजी और हिंदी अनुवाद

    तत्तवार्थधिगमे (मोक्षशास्त्र) जैन आचार्य उमास्वामी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध जैन ग्रन्थ है।[१] इसे 'तत्त्वार्थ-अधिगम-सूत्र' तथा 'मोक्ष-शास्त्र' भी कहते हैं। यह पहला जैन ग्रन्थ है जो संस्कृत भाषा में लिखा गया है[१]। इसमें दस अध्याय तथा ३५० सूत्र हैं। उमास्वामी सभी जैन मतावलम्बियों द्वारा मान्य हैं। उनका जीवनकाल २री शताब्दी है।

    दस अध्याय[सम्पादयतु]

    तत्तवार्थधिगमे दस अध्याय इस प्रकार है [२]:-

    1. दर्शन और ज्ञान
    2. जीव के भेद
    3. उर्ध लोक और मध्य लोक
    4. देव
    5. अजीव के भेद
    6. आस्रव
    7. पाँच व्रत
    8. कर्म बंध
    9. कर्म निर्जरा
    10. मोक्ष

    सूत्र[सम्पादयतु]

    पहला सूत्र

    सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्ग:

    —1-1

    "परस्परोपग्रहो जीवानाम् (५.२१): यह सूत्र जैन धर्म का आदर्श-वाक्य है। यह जैन प्रतीक चिन्ह के अंत में लिखा जाता है।

    सन्दर्भ[सम्पादयतु]

    सन्दर्भ सूची[सम्पादयतु]