सदस्यः:Kishoremahadev/प्रयोगपृष्ठम्

विकिपीडिया, कश्चन स्वतन्त्रः विश्वकोशः

व्यपरोध्यं

[१]

व्यपरोध्यं 11

अस्थिथ्वं चेतः नूनं समिकुर्थे उत्पन्नं चेतः अगत्यं  संरूप व्यक्थिनां अथवा समुधयाम्  संवःअदं मूलकं  तिलिवलिकां  कथि प्रेर्थां भवथि प्रकृयेनां  व्यपरोध्यां इति नमदेयथि

ग्रहकनाम् अदिकृत्य , प्रोधरथि च ते सर्व संत्रुप्तं  करोथि , व्यपरोध्यं ग्राहकं केन्द्रिथयं . तत्र  एषाथि कारणं चतुवतिकां व्यापार निर्वहने प्रमुख अंश इति परिगनिथं इति करोथि . एतातः विभक्त केशिन कर्यचरणे  (अथवा उथ्पदनं ) . मानव संपल्मूनं , समहिक पराग , कयिदे च कनॊनम् संबन्दिथ वंशं इतर सेवां च.

चोन्तिनेन्तल् मर्केतिन्ग

निर्वहणं  संस्थं कुर्वन्थि अथवा होरा ग्रहकरु  गिरकिगलु , पलदररु  चेतः  समजक्के  मोउल्यदराम्  निर्मिसि अदन्नु निर्मलिपत्ति , नीदि अथवा विनिमयमदिकोल्लुव ओन्धु  प्रक्रिये मदुव व्यवस्थे  " एन्दु अमेरिचाद मारात संस्थे व्यपरोध्यमवन्नु व्यखनिसिदे .

[२]

सरका मत्त सेवेगलु  करॆधि मत्तु मरतागलु  अक्षरगलु  मरुकत्तेगे  होगी  बरितिद्द  अभिवृधिगोन्द रूपविदे ."ग्रहाकम् आगत्य  गुरुतिसुअव् , निरिक्षिसुव चेतः अवुगलन्नु  लभकरवगिदे भरसिवे  जवब्दरिगलन्नु  अदलिथ प्रथिक्रिये  मर्केतिन्ग " एन्दु  व्यपर्गोण्डु  चर्तेरेद इन्स्तीतुते ओफ़्  मर्केतिन्ग संस्था.

   .

[३]


अमेरिचान  मर्केतिन्ग  आस्सोचिअतिओन्  अस  "थे  अच्तिवित्य , सेत  ओफ़्  इन्स्तितुतिओन्स् , अन्द्  प्रोचेस्सेस  फ़ोर्  च्रेअतिङ्ग् ,  चोम्मुनिचातिन्ग  , देलिवेरिन्ग , अन्द् एक्ष्चङ्गिङ्ग्  ओफ़्फ़ेरिङ्ग्स् तहत हवे  वलुए  फ़ो चुस्तोमेर्स , च्लिएन्त्स् , पर्त्नेर्स , अन्द्  सोचिएत्य्  अत  लर्गे . थे  तेर्म  देवेलोपेद  फ़्रोम्  थे  ओरिगिन मेअनिङ्ग्  व्हिच्  रेफ़ेर्रेद्  लितेरल्ल्य  तो  गोइङ्ग्  तो  मार्के  विथ्  गॊद्स्  फ़ोर्  साले .

[४]


रोम्  अ  सलेस  प्रोचेस्स  एन्गिनीरिन्ग  पेर्स्पेच्तिवे , मर्केतिन्ग  इस  "अ  सेत  ओफ़्  प्रोचेस्सेस  थ  अरे  इन्तेर्चोन्नेच्तेद  अन्द्  इन्तेर्देपेन्देन्त  विथ्  ओथेर्  फ़ुञ्च्तिओन्स् " ओफ़्  अ  बुसिनेस्स  ऐमेद्  अत  अचिएविङ्ग्  चुस्तोमेर  इन्तेरेस्त  अन्द्  सतिस्फ़च्तिओन् .

फिलिप् कोत्लेर  देफ़िनेस्  मर्केतिन्ग  अस  :-मर्केतिन्ग  इस  अबोउत्  षतिस्फ़्यिङ्ग्  नीद्स  अन्द्  वन्त्स  थ्रोउघ्  अन  एक्ष्चङ्गे  प्रोचेस्स .

  1. व्यपरोध्यं
  2. इन्दिअन् मर्केतिन्ग
  3. विचार
  4. लेख