"कर्मसंन्यासयोगः" इत्यस्य संस्करणे भेदः
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==श्लोकानाम् आवलिः== |
==श्लोकानाम् आवलिः== |
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१) [[संन्यासं कर्मणां कृष्ण...]] |
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:[[५.२ सन्यासः कर्मयोगः...]] |
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२) [[संन्यासः कर्मयोगश्च...]] |
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:[[५.३ ज्ञेयः स नित्यसं...]] |
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३) [[ज्ञेयः स नित्यसंन्यासी...]] |
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:[[५.६ सन्यासस्तुमहाबां...]] |
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:[[५.८ नैव किञ्चित् ...]] |
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:[[५.९ प्रलपन्विसृजन्...]] |
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:[[५.१० ब्रह्मण्याधाय...]] |
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६) [[संन्यासस्तु महाबाहो...]] |
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{{भगवद्गीता}} |
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८) [[नैव किञ्चित्करोमीति...]] |
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:[[५.१४ न कर्तुत्वं न...]] |
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:[[५.१५ नादत्ते कस्यचि...]]त् |
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९) [[प्रलपन्विसृजन्गृह्णन्...]] |
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:[[५.१७ तद्बुद्धयः तदात्मानः...]] |
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१०) [[ब्रह्मण्याधाय कर्माणि...]] |
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:[[५.२१ बाह्यस्पर्षष्वसक्तां...]] |
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:[[५.२२ ये हि संस्पर्शजाः...]] |
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:[[५.२४ योऽन्तः सुखोऽतः...]] |
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:[[५.२५ लभन्ते ब्रह्मनिर्वां...]] |
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१४) [[न कर्तृत्वं न कर्माणि...]] |
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:[[५.२६ कामक्रोधवियुक्तां...]] |
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:[[५.२७ स्पर्शान् कृत्वा...]] |
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१५) [[नादत्ते कस्यचित्पापं...]] |
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१७) [[तद्बुद्धयस्तदात्मानः]] |
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२१) [[बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा...]] |
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२२) [[ये हि संस्पर्शजा भोगाः...]] |
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२४) [[योऽन्तःसुखोऽन्तरारामः...]] |
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२५) [[लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणम्...]] |
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२६) [[कामक्रोधवियुक्तानां...]] |
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२७) [[स्पर्शान्कृत्वा बहिर्बाह्यान्...]] |
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==बाह्यसम्पर्कतन्तुः== |
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*[http://sa.wikisource.org/wiki/भगवद्गीता भगवद्गीता] (मूलश्लोकाः) |
*[http://sa.wikisource.org/wiki/भगवद्गीता भगवद्गीता] (मूलश्लोकाः) |
११:०६, ३० अक्टोबर् २०१५ इत्यस्य संस्करणं
अध्यायस्य सारः
भववद्गीतायाः पञ्चमः अध्यायः वर्तते ।
श्लोकानाम् आवलिः
५) यत्साङ्ख्यैः प्राप्यते स्थानं...
भगवद्गीतायाः अध्यायाः |
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१२) युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा...
२०) न प्रहृष्येत्प्रियं प्राप्य...
२१) बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा...
२७) स्पर्शान्कृत्वा बहिर्बाह्यान्...
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